एमबीबीएस के आगे पढाई करके बन सकते है न्यूरोलॉजिस्ट

आज के भाग-दौर की जिंदगी में लोगों को कार्यालय में काम-काज के टेंशन एवं घर में पारिवारिक टेंशन से देश में दिमाग संबंधी बीमारियां (Brain Disease) लगातार बढ़ रही हैं। यहां तक कि बच्चों में भी माता-पिता के द्वारा पढाई के लिए लगातार दवाब बनाने के कारण दिमाग संबंधी बीमारियां देखा जा सकता है।ऐसा अनुमान लगाया है कि 2025 तक इनमें 22-25 फीसदी तक इजाफा हो सकता है।  वर्ष 2012 में पब्लिस हुए एक सर्जन के अनुसार भारत में सिर्फ 1100 न्यूरोलॉजिस्ट हैं।  इससे न्यूरोलॉजिस्ट के नौकरियों के अवसर खुल रहे है हालांकि न्यूरोलॉजी में स्पेशलाइजेशन हासिल करने के लिए छात्रों या छात्राओं को एमबीबीएस के बाद 6 साल का पढाई करना होता है। इसके के बारे में जाने विस्तार से ;


न्यूरोलॉजी शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है - न्यूरॉन और लॉजिया। न्यूरॉन का अर्थ होता है नर्व और लॉजिया का अध्ययन करना। यानि मानव शरीर के नर्वस सिस्टम के अध्ययन को न्यूरोलॉजी कहा जाता है। न्यूरोलॉजी मेडिसिन की स्पेश्लाइज्ड ब्रांच है. जिसमें दिमाग संबंधित टिश्यु और मांसपेशियों में होने वाली बीमारियों के बारे में अध्ययन किया जाता है। कई बार न्यूरोलॉजी और न्यूरोसाइंस को एक ही विषय मान लिया जाता है. लेकिन दोनों अलग-अलग है। न्यूरोसाइंस में मानव शरीर मे होने वाले नर्वस सिस्टम का अध्ययन किया जाता है जबकि न्यूरोलॉजी में इससे संबंधित बीमारियों का अध्ययन किया जाता है।

न्यूरोलॉजिस्ट वे फिजिसियन होते है, जो नर्वस सिस्टम से जुडी समस्याओं जैसे- ब्रेन ट्रॉमा, स्ट्रोक, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, मिरगी और अल्जामर आदि वाले मरीजों का इलाज करते है। वैसे न्यूरोलॉजिस्ट, जो सर्जरी की प्रक्रिया का उपयोग करते हैं, उन्हें न्यूरोसर्जन कहा जाता है।

आम तौर पर न्यूरोलॉजी के तीन फॉर्म होते है - १. क्लीनिकल न्यूरो फिजियोलॉजी २. चाइल्ड/ पेडियाट्रिक न्यूरोलॉजी ३. पेन मेडिकल

१. क्लीनिकल न्यूरो फिजियोलॉजी में सेंट्रल नर्वस सिस्टम संबंधी समस्याओं का इलाज होता है.

२. चाइल्ड/ पेडियाट्रिक न्यूरोलॉजी में बच्चों और किशोरों के नर्वस सिस्टम संबंधी समस्याओं का इलाज होता है. और

३. पेन मेडिसिन में न्यूरोलॉजिक डिर्साडर से होने वाले दर्द में स्पेशलाइजेशन किया जाता है.

योग्यता (Eligibility)

फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी से 12 वीं पास करने के बाद छात्र/छात्रा नीट (NEET) परीक्षा के माध्यम से देशभर के मेडिकल कॉलेजों के एमबीबीएस कोर्स कर सकते है। जो विधार्थी 12 वीं बायोलॉजी में 60 प्रतिशत से अधिक नंबर प्राप्त किये हैं. वें ही नीट (NEET) परीक्षा में अप्लाई कर सकते हैं। नीट परीक्षा में आवेदन भरने के लिए आवेदक की उम्र कम से कम 17 वर्ष से ऊपरी आयु सीमा 25 साल है। न्यूरोलॉजिस्ट बनने के लिए पहले आपको डॉक्टरी की पढ़ाई करनी होगी। न्यूरोलॉजी की पढ़ाई को मेडिसिन की जटिल ब्रांच में से एक माना जाता है।

नोट : १. एमबीबीएस और एक साल की इंटर्नशिप पूरी करने के बाद विधार्थी नीट-पीजी (NEET-PG) के माध्यम से जनरल मेडिसिन के एमडी, एमएस या डीएनबी कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। इसके बाद देश के विभिन्न संस्थानों में न्यूरोलॉजी के डीएम या न्यूरोसर्जरी के एमसीएच कोर्स में प्रवेश ले सकते है। यह कोर्स ३ वर्षो का होता है।

२. इसके अलावा विधार्थी एमबीबीएस के बाद सीधे भी न्यूरोलॉजी के डीएम या न्यूरोसर्जरी के एमसीएच कोर्स में प्रवेश ले सकते है। यह कोर्स एमबीबीएस के बाद पुरा करने में 6 वर्ष लगता है।

रोजगार की संभावनाएं (Job Prospects)

न्यूरोलॉजिस्ट हॉस्पिटल और रिसर्च इंस्टीट्यूट्स में काम कर सकते हैं। इसके अलावा शिक्षण संस्थानों में भी नौकरियों के अवसर हैं। अनुभव के बाद इस क्षेत्र में प्रोफेशनल्स के लिए सेल्फ एम्पलॉयमेंट के विकल्प भी है। विदेशों में भी इस क्षेत्र के प्रोफेशनल के लिए जॉब के अवसर है।

कमाई 

इस क्षेत्र में प्रोफेशनल्स की संख्या कम होने के कारण सैलरी पैकेज ज्यादा होता है। फ्रेशर को औसतन 30-35 हजार रुपये तक मासिक पैकेज मिल सकता है जबकि अनुभव के बाद 50 - एक लाख रुपये प्रतिमाह या ज्यादा भी मिल सकता है।

प्रमुख संस्थान

१. निजाम्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस, हैदराबाद
www.nims.edu.in

२. मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, दिल्ली
www.mamc.ac.in

३. इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवेरियल एवं अलाइड साइंसेस, दिल्ली
www.ihbas.delhigovt.ac.in

४. निमहांस, बेंगलुरु
www.nimhans.ac.in

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