गावों में आर्थिक और सामाजिक विकास में युवा बने भागीदार
गावों के विकास पर हर कहीं अब पहले से अधिक ध्यान दिया जा रहा है, इसलिए सरकारी, गैर-सरकारी संगठन और स्थानीय निकायों में रूरल मैनेजमेंट की जरुरत बढ़ी है और नौकरी के नए-नए मौके भी सामने आ रहे हैं। रूरल मैनेजमेंट कोर्स की युवाओं के बीच मांग भी लगातार बढ़ रही है......
आज
ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से आर्थिक और सामाजिक विकास कार्य हेतु रूरल
मैनेजमेंट की पढ़ाई किये हुए युवाओं की बेहद
जरुरत है। सरकारें ग्रामीण विकास कार्यक्रमों को भरपूर प्रोत्साहन तो दे रही हैं, लेकिन फिर भी देश में
तमाम गांवों में आज भी बिजली, सड़क, शिक्षा
और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं
हैं। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों से गांवों
का माहौल इतनी तेजी से बदला है कि यहां भी शहरों जैसी
विकास प्रक्रिया की आवश्यकता महसूस की जा रही है। चूंकि भारत गांवों का देश है।
यहां की करीब 65 फीसदी
आबादी आज भी गांवों में ही रहती है, इसलिए ग्रामीण विकास का सीधा संबंध अर्थव्यवस्था से भी है। ऐसे में
कोई भी विकास कार्य इन गांवों को ध्यान में रखे बगैर पूरा नहीं किया जा
सकता है। इसी वजह है कि रूरल मैनेजमेंट के प्रोफेशनल्स की मांग इस क्षेत्र में
लगातार बढ़ रही है। निजी कंपनियां भी हर साल सरकार के नियमों के अनुसार, अपने शुद्ध लाभ का 2 प्रतिशत सीएसआर (कॉरपोरेट
सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी) ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता, शौचालय, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार सृजन
पर खर्च करती हैं. इन्हें भी ऐसे प्रोफेशनल्स चाहिए।
कहां-कहां हैं नौकरियां
रूरल मैनेजमेंट की डिग्री के बाद तमाम सेक्टर में युवाओं के लिए नौकरी के अवसर उपलब्ध हैं। किसी भी कंपनी के मैनेजमेंट, मार्केटिंग, फाइनेंस, ह्यूमन रिसोर्स, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट जैसे विभागों में इन्हें मैनेजर, कंसल्टेंट, एनालिस्ट और रिसर्चर के रूप में आसानी से नौकरी मिल जाती है। सरकारी विभागों के अलावा बैंक, कोऑपरेटिव बैंक, इंश्योरेंस कंपनियों, विकास कार्य से जुड़े गैर-सरकारी संगठनों और एनजीओ में भी इनकी हर समय मांग है।
कोर्स एवं योग्यताएं
रूरल मैनेजेमेंट एक 2 वर्षीय पीजी पाठ्यक्रम है। इसके लिए न्यूनतम योग्यता ग्रेजुएशन होनी जरुरी है। इस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए 50 प्रतिशत अंकों के साथ 3 वर्षीय डिग्री के अलावा कैट/मैट/सीमैट/एटीएमए/एक्सएटी जैसे किसी भी राष्ट्रीय स्तर की मैनेजमेंट एप्टीट्यूड टेस्ट का वैध स्कोर भी होना चाहिए।
सैलरी
रूरल मैनेजमेंट डिग्रीधारी युवाओं को शुरुआत में ही किसी भी कंपनी में 5 से 6 लाख रुपये का सालाना पैकेज आसानी से मिल जाता है।
संस्थान
१. आइआइएचएमआर, जयपुर
www.iihmr.edu.in
२. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट एंड पंचायती राज, हैदराबाद
www.nird.org.in
३. जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, भुवनेश्वर
http://xiss.ac.in
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